....मैं लिखूंगा ऐसे एक गीत...
जब से खुली है आँखें
तभी कर रहा हूँ मानो तुम्हारी इंतज़ार,
पंखों में आयी है जान
जब से पाया है मैंने तुम्हारा प्यार,
साँसों में भर चूका है अब
जीनेका अनोखा उमंग,
मैं तो निकल पडा हूँ अब दूसरों के शहर में
हाथ में लग चूका है मेरा
अजनवियों को अपनाने का
इंद्रधनुष का रंग .....
काश
भूलना इतना आसान होता !
सह पाना आसान होते ये तोड़े गए वादे !
गिरते, सम्भलते ,
फिर गिर कर उठते
कसमें खाए न जाते हाथ में मिलाये हाथ,
बिखरे सपनों को सजाते सँवारते
शपथ न दिलाये जाते चलने को साथ साथ ।
में लिखूंगा ऐसे एक गीत
जो छू जाए हर प्राण हर धड़कन को
किसी के मेहरवानी से
कबि बनना मुझे हरगिज पसंद नहीं
दवाव नहीं
न मुझ पे किसीका एहसान है
मैं चलूँ खुद के पैरों पर
न किसी का बैशाखियों की जरुरत है..
किसी के मदद की चाह भी नहीं मुझे
न मांगने का फुरसत है...
जब से खुली है आँखें
तभी कर रहा हूँ मानो तुम्हारी इंतज़ार,
पंखों में आयी है जान
जब से पाया है मैंने तुम्हारा प्यार,
साँसों में भर चूका है अब
जीनेका अनोखा उमंग,
मैं तो निकल पडा हूँ अब दूसरों के शहर में
हाथ में लग चूका है मेरा
अजनवियों को अपनाने का
इंद्रधनुष का रंग .....
काश
भूलना इतना आसान होता !
सह पाना आसान होते ये तोड़े गए वादे !
गिरते, सम्भलते ,
फिर गिर कर उठते
कसमें खाए न जाते हाथ में मिलाये हाथ,
बिखरे सपनों को सजाते सँवारते
शपथ न दिलाये जाते चलने को साथ साथ ।
में लिखूंगा ऐसे एक गीत
जो छू जाए हर प्राण हर धड़कन को
किसी के मेहरवानी से
कबि बनना मुझे हरगिज पसंद नहीं
दवाव नहीं
न मुझ पे किसीका एहसान है
मैं चलूँ खुद के पैरों पर
न किसी का बैशाखियों की जरुरत है..
किसी के मदद की चाह भी नहीं मुझे
न मांगने का फुरसत है...
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