Friday, 14 April 2017

पीनी सखी ?

पीनी सखी ?
पीने का दर्द प्याले में नहीं छलकता
आंखों से निकलते हैं जब
आँसु बनके
घोल के पी और बहा दे दरिया
दिल की हक़ीक़त पूछ
मैखाने से पूछ सखी
कब से नहीं आया है देवदास

छीनी सखी ...
चैन की खबर ले
बता दे यहां अब नहीं डगर
लगा रहा है खोनेवालों की जमघट
प्याले की भराव में अब  नहीं रही है गहरापन
परदा गिरते नहीं
गिरानेवालों की गिरवी रख चुके हैं
अगर कुछ बचा है
तो खुद्दारी का ख़याली अपहरण...

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