.....कुबूल है मुझे अब....
सुन्दर सपनें कभी टुटा नही किया करते...
हमारे अपनें खुद को कभी खोया नहीं करते...
दिल में सजोये मूरत ऐसे भी बहुत सुन्दर हैं
छेदनी और हथौड़ी से उन्हें बेइज्जत नहीं किया करते...
दर्द कभी कभी आस्वाद्य होते हैं
जब उनमें होता है तुम्हारा सुगंध..
प्यार तुम्ही से किया है मैंने..
आसान नहीं था तेरा दिल चुराना और चुप्पी से छू पाना तेरा निबिबन्ध..
प्यार तुम्हीं से किया है मैंने
तुम्ही ने सिखायी है मुझे आँखों में तेेरे तकदीर देखना..
दर्द फिर तुम्ही से मिले तो..
कुबूल है मुझे अब
तेरे ही इसारे पर बार बार मरना...
@rights reserved
BY SATCHIDANANDA MISHRA
सुन्दर सपनें कभी टुटा नही किया करते...
हमारे अपनें खुद को कभी खोया नहीं करते...
दिल में सजोये मूरत ऐसे भी बहुत सुन्दर हैं
छेदनी और हथौड़ी से उन्हें बेइज्जत नहीं किया करते...
दर्द कभी कभी आस्वाद्य होते हैं
जब उनमें होता है तुम्हारा सुगंध..
प्यार तुम्ही से किया है मैंने..
आसान नहीं था तेरा दिल चुराना और चुप्पी से छू पाना तेरा निबिबन्ध..
प्यार तुम्हीं से किया है मैंने
तुम्ही ने सिखायी है मुझे आँखों में तेेरे तकदीर देखना..
दर्द फिर तुम्ही से मिले तो..
कुबूल है मुझे अब
तेरे ही इसारे पर बार बार मरना...
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