Wednesday, 31 May 2017

...योगी हूँ...5


...योगी हूँ...5

कौन अपना है और कौन पराया
यह मुल्क मेरा है इसके वासीदें मेरे..
यह हवा, यह पानी, यह ब वन यह परबत
बहती यह नादिया, गिरते ये झरने
ये सब हैं मेरे और मैं भी उनके
शोचता उनको हूँ और ये हैं मेरे प्रजा
उन्हीं के साथ रहूँगा मैं हर सांझ हर क्यूसवेरे..
मैं योगी हूँ, योग से मेरा नाता है...
दिलों से जुड़ना जानता हूँ मैं
आप की आशीर्वाद ही मुझे भाता है...

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